रोहतक सायबर थाना पिछले 4 महीने से कर रहा है महिला पत्रकार पर हुए सायबर अटैक की मामले की जांच
सायबर अटैक मामले में ”सूचना के अधिकार अधिनियम” व मुख्यमंत्री के आदेश की पहले भी धज्जियां उड़ा चुकी है पुलिस चंडीगढ़/रोहतक 30 दिसम्बर 2021 (ब्यूरो) महिला पत्रकार प्रताड़ना मामले में सायबर अपराधियों को बचाने के लिए पुलिस पहले भी सूचना के अधिकार अधिनियम व मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ा चुकी है। उक्त जानकारी महिला पत्रकार ने अपने ऊपर हुए सायबर अटैक के मामले में बताते हुए कहा कि मेरे ऊपर हुए सायबर अटैक मामले को पुलिस किसी राजनीतिक दबाव के चलते पहले भी दबाना चाहती थी। गौरतलब है कि महिला पत्रकार के साथ हुई लाखो की धोकाधड़ी व मिली जान से मारने की धमकी में *प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के आदेश पर गठित SIT की जांच के बाद दोषियों आशिष व मुकेश पांचाल निवासी नांगल खुर्द,हल्का राई,सोनीपत के खिलाफ़ ipc की धारा 406,420,467,468, 471,212,201,506 व 34 के तहत सिटी थाना शहर सोनीपत मे 2 जनवरी 2020 से मुकदमा संख्या 01 दर्ज है*। जिस में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद हुई गिरफ्तारी के बाद से अपराधी आसिष पांचाल जिला कारागार में बंद है व उस के दो अन्य साथी मुकेश व सचिन पांचाल जमानत पर बाहर है। गौरतलब है कि इन अपराधियों ने महिला पत्रकार पर समझौते का दबाव बनाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर पुलिस को महिला पत्रकार की गिरफ्तारी के लिए 50,000/- रुपये की रिस्वत की ऑफर भी की थी जिस में जांच के बाद मुकदमा झूठा पाए जाने पर *इन के खिलाफ ipc की धारा 182 के तहत भी जिला न्यायालय में मुकदमा चल रहा है।* झूठे मुक़दमे के बाद भी जब महिला पत्रकार ने दोषियों के खिलाफ अपना मुकदमा वापिस नही लिया तो इन *दोषियों ने मुक़दमे के सुबूत मिटाने की नीयत से साजिशन महिला पत्रकार पर कई बार सायबर अटैक भी किया था*, जिस पर कार्यवाही के लिए महिला पत्रकार ने सभी पुख्ता सुबूतों सहित एक लिखित प्रार्थना पत्र 27 मई 2020 को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सोनीपत जश्नदीप रंधावा को दिया था जिस पर डायरी नंबर -163- Pll व 164- Pll डला था। लगभग तीन महीने पुलिस विभाग के चक्कर काटने के बाद भी सायबर अपराधियो के खिलाफ़ कोई कार्यवाही न होने पर एक रिमाइंडर पत्र 26 अगस्त 2020 को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सोनीपत को दिया था। जिस के एक महीना बाद भी सायबर अपराधियों के खिलाफ़ कोई कार्यवाही नही हुई तब महिला पत्रकार तत्कलीन पुलिस अधीक्षक सोनीपत से मिली तो उन्हों ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि MI फोन कम्पनी ने इस सायबर अटैक मामले में जानकारी देने से मना कर दिया यहां बहुत बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या किसी सायबर अटैक मामले में कोई प्राइवेट कंपनी पुलिस विभाग को जानकारी देने के लिए मना कर सकती है। पुलिस विभाग के इस जवाब पर महिला पत्रकार ने 28 सितम्बर 2020 को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने ऊपर हुए सायबर अटैक की में क्या कार्यवाही हुई इस बात की जानकारी के लिये डायरी नंबर-163-Pll दिनांक 27/5/2020 के संदर्भ में एक प्रार्थना पुलिस के सूचना विभाग को दिया जिस पर पत्र क्रमांक 1117-RTI डला। जिस *RTI के जवाब में महिला पत्रकार को गलत सूचना दी गई,यानी सवाल कोई जवाब कोई*,इस बात से क्षुब्ध हो कर महिला पत्रकार ने एक बार फिर से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पुलिस के सूचना विभाग को डायरी नंबर-164-Pll- दिनांक 27/5/2020 में क्या कार्यवाही हुई इस कि जानकारी के लिए 11 अक्टूबर 2020 को प्रार्थना पत्र दिया जिस प्रार्थना पत्र पर क्रमांक-1353-RTI डला,इस मे भी सायबर अपराधियों का संरक्षण करते हुए *महिला पत्रकार को दोनो बार RTI का गलत जवाब दिया गया था।* यह गलत जवाब यह था कि महिला पत्रकार के द्वारा दी गई सायबर अटैक के शिकायत पत्र को बदल कर उस की जगह दोषियों के खिलाफ़ पुलिस विभाग द्वारा दोषियों द्वारा महिला पत्रकार पर करवाये गए झूठे मुक़दमे में की गई ipc182 कि कार्यवाही की सूचना प्रदान की गई। पता नही पुलिस पर किस राजनेता का इतना भारी दबाव बना हुआ था कि पुलिस इन सायबर अपराधियो को बचाने में लगी थी जिस बात का अंदेशा कहीं न कहीं आज भी बना हुआ है क्यों कि इतना कुछ ही जाने के बावजूद आज भी सायबर अपराधी खुल्ला घूम रहे है। महिला पत्रकार ने बताया कि उन्हों ने 4 महीने पहले एक बार फिर से अपने ऊपर हुए सायबर अटैक मामले में दोषियों पर कार्यवाही के लिए सभी पुख्ता सुबूतों सहित लिखित प्रार्थना पत्र तत्कालीन सोनीपत पुलिस अधीक्षक जश्नदीप रंधावा को दिया था। साथ ही इस प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल,गृहमंत्री अनिल विज,पुलीस महानिदेशक पीके अग्रवाल को भी डाक रजिस्ट्री द्वारा भेजी थी। जिस में मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन पुलीस अधीक्षक सोनीपत जश्नदीप रंधावा ने फ़ाइल को जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरियाणा संदीप खिरवार को भेजा था। जिस फ़ाइल पर डायरी नंबर-4126-P1 दिनांक 24/9/2021व डिस्पेच नंबर-3634-P दिनांक 28/9/2021 डला था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संदीप खिरवार के कार्यालय से इस सायबर अटैक मामले की जांच रोहतक सायबर थाने को सौंपी गई थी। जिस जांच को चलते आज लगभग 4 महीने हो चुके है। महिला पत्रकार ने बताया कि सायबर अटैक मामले की जांच के चलते लगभग 3 महीने पहले रोहतक सायबर थाने में कार्यरत हैडकोंस्टेबल दयानंद का फोन आया था उन्हों ने जो भी जानकारी व सुबूत मुझ से मांगे वो सब मैं उन्हें निजी तौर पर मिल कर दे चुकी हूं, साथ ही सारे सुबूत व मामले से जुड़ी सारी जानकारी भी उन के फोन पर व्हाट्सएप के माध्यम से भेज चुकी हूं। दूसरी ओर सायबर अटैक मामले के जांच अधिकारी दयानंद का कहना है कि MI कम्पनी ने सायबर अपराधियो के खिलाफ सुबूत देने के लिए थोड़ा समय मांगा है। अब देखना यह होगा कि पुलिस की यह जांच कब तक पूरी होगी क्या एक बार फिर से पुलिस सायबर अपराधियों को संरक्षण देगी या दोषियों के खिलाफ कार्यवाही कर महिला पत्रकार को न्याय दिलवाएगी। गौरतलब है कि महिला पत्रकार पर हुए इस सायबर अटैक के मामले में कार्यवाही के लिए 21अगस्त 2021 को प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर भी पुलिस को आदेश कर चुके है। लेकिन पुलिस पहले भी प्रदेश के मुखिया को ठेंगा दिखा कर ”सूचना के अधिकार अधिनियम” की धज्जियां उड़ा चुकी है।
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