‘मातृ दिवस’ के अवसर पर एक महिला ‘बच्चों’ के कटे अंगों से बना कोट पहनकर जनता को चमड़े का त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करती नजर आई,
आगरा में 12 मई मातृ दिवस के अवसर पर पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की एक समर्थक बेबी डॉल (खिलौने वाली गुड़िया) के हाथ, पैर और सिर से सजा कोट पहनकर और हाथ में “हर कोई किसी का बच्चा है: को लेकर लोगो को अवेयर करती नजर आई,उन्होंने कहा चमड़ा-मुक्त जीवनशैली अपनाएं।“ संदेश लिखा,इस दौरान बोर्ड पकड़कर चमड़े के खिलाफ़ प्रदर्शन करती नजर आई, इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य जनता को पशुओं के चमड़े से बने कोट, जूते, बैग और अन्य वस्तुओं के निर्माण के दौरान निर्दोष पशुओं को दी जाने वाली गहन पीड़ा के संबंध में जागरूक करना है।
PETA इंडिया के कैंपेनस कोऑर्डिनटोर उत्कर्ष गर्ग ने कहा, “जो लोग मानव शिशुओं की त्वचा से बना कोट खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं, उन्हें गाय, भैंस या अन्य संवेदनशील पशुओं की त्वचा से बना कोट भी नहीं पहनना चाहिए जिसके उत्पादन हेतु बहुत से निर्दोष प्राणियों को प्रताड़ित करके मौत के घाट उतारा जाता है। PETA इंडिया हर किसी को केवल वीगन चमड़े या अन्य प्राकृतिक या सिंथेटिक पशु-मुक्त सामग्री से बने उत्पादों को चुनने और अपनी अलमारी से पशुओं से प्राप्त सभी वस्तुओं को हटाने के पीलिए प्रोत्साहित करता है।“
चमड़ा उद्योग मनुष्यों के साथ-साथ अन्य पशुओं और इस ग्रह के लिए भी घातक है। भारत में गाय, भैंस और चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं को इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियों में ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है कि अक्सर रास्ते में ही इनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। इतना कष्ट सहने के बावजूद भी जिन पशुओं की जान बच जाती है, बूचड़खाने में उन जिंदा पशुओं के कसाइयों द्वारा खुलेआम टुकड़े-टुकड़े किए जाते हैं और उनकी खाल उतारी जाती है। चमड़े के कारखानों (टेनरियों) से निकलने वाला जहरीला पानी नदियों और नालों को प्रदूषित करता है, जिससे उसके आसपास रहने वाले सभी पशुओं एवं मनुष्यों को नुकसान पहुंचता है। चमड़ा कारखानों (टेनरियों) के श्रमिकों में कैंसर, श्वसन संक्रमण सहित कई गंभीर बीमारियों के लक्षण पाए जाते हैं।
देशभर की लगभग सभी प्रमुख जूते और कपड़ों की दुकानों पर वीगन चमड़े एवं अन्य पशु-अनुकूल सामग्री के विकल्प उपलब्ध हैं। ‘PETA-अनुमोदित वीगन’ प्रमाणन, चमड़े, रेशम, ऊन, फर और पंख जैसे जानवरों से प्राप्त सामग्री के बजाय वीगन सामग्री से बने हैंडबैग, जूते, कपड़े, सहायक उपकरण, फर्नीचर और घर की सजावट की वस्तुओं को प्रमाणित करता है। दुनिया भर में 1000 से अधिक कंपनियां भारत और अन्य जगहों पर सामाजिक रूप से जागरूक उपभोक्ताओं को खरीदारी करते समय एक नज़र में वीगन उत्पादों की पहचान करने में सक्षम बनाने के लिए “PETA-अनुमोदित वीगन” लोगो का उपयोग कर रही हैं।
PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “पशु हमारे वस्त्र बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह एक ऐसी धारणा है जिसमे इंसान इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।
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