बिग ब्रेकिंग खाकी वर्दी में गुंडागर्दी कुछ ही लोग तो करते हैं! बदनाम हो जाते है वो भी जो देश की खातिर मरते हैं!!
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शब्द आनुष्ठानिक नहीं होते, इसलिए जरूरी नहीं कि चौथे स्तंभ के खतरे में होने की बात पत्रकारिता दिवस पर ही कही जाए। कलम दुश्वारियों में है। पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कोई पत्रकार सच का खुलासा करता है,तो माफिया मार डालते हैं। पुलिस फर्जी मुकदमा मे फसा देती हैं सच का यह सिर्फ एक पहलू है, दूसरा खुद चौथे खंभे के घर-आंगन में। कुछ ताजा घटनाओं का संदर्भ लेते हुए,आइए,जानते हैं,आखिर किस तरह!
हिन्दी दैनिक तोमर राज अखबार के पत्रकार धर्मेन्द्र तिवारी के मामले को घटनात्मक दृष्टि से देखें तो यह बात मामूली सी लगती है लेकिन जब हम इसे चौथे स्तंभ के मूल्यों की कसौटी पर परखते हैं,ऐसा सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि किस तरह आज की ऐसी गैरजिम्मेदाराना स्थितियां ही ईमानदार पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी हैं। जहां तक लोकतंत्र के खतरों की बात है,सोशल मीडिया आता है,खतरा पैदा हो जाता है,गठबंधनवादी सियासत पर कुछ लिखो,खतरा पैदा हो जाता है,खनन माफिया, शिक्षा माफिया, वन माफिया, दवा माफिया के भेद खोलो, खतरा पैदा हो जाता है और सबसे बडा खतरा आज राष्ट्र के चौथे स्तम्भ को पुलिस विभाग से है यह अपने खाकी की रौब से पत्रकार की कलम मे लगाम लगाना चाहते हैं यूपी की बेलगाम पुलिस आज पत्रकारों को फसाने के लिए किस हद तक गिर जायेगी अन्दाजा नही लगाया जा सकता जिसका जीता जागता सबूत जनपद अयोध्या के कोतवाली वीकापुर क्षेत्र अंतर्गत पुलिस चौकी मोतीगंज चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार ने किया है धर्मेन्द्र तिवारी पत्रकार की खबर को लेकर चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार व सिपाही प्रदुम्म यादव को लेकर सबर्ण जाति सूचक गाली देते हुए कमरे के अन्दर लाठियों की बौछार कर दिया यही नही अपने कृत्य को छुपाने के लिए जिस तरीके से चौकी प्रभारी एक महिला का सहारा लेकर पत्रकार पर फर्जी छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया यह पत्रकारो की स्वतंत्रता का हनन है जिसका मीडिया जगत घोर निन्दा करता है यह खेल अकेले चौकी इंचार्ज ही नहीं बल्की थाना प्रभारी वीकापुर राजेश राय भी सामिल है इस बात का खुलासा तब होता है जब पत्रकारों को चौकी प्रभारी व थाना का अलग अलग बयान दिया गाया बिन्दू लता की लहरीर मे बिन्दु लता के साथ छेड़खानी व हाथा पाई चौकी के बाहर कस्बे मे होती हैं, चौकी प्रभारी के बयान मे छेड़खानी चौकी के सामने सडक पर होती हैं तो वही पर थाना प्रभारी के बयान मे पत्रकार धर्मेन्द्र तिवारी बिन्दू लता से छेड़खानी चौकी के अन्दर करने का दावा किया है अब एक ही आदमी एक ही दिन में एक ही महिला से एक ही समय मे कैसे छेड़खानी व हाथा पाई करता है यह सोंचने का बिषय है इन तीनों अलग अलग बयान मे साफ साफ साजिस की दुर्गंध आती हैं चौकी प्रभारी अश्विनी कुमार की इस हरकत ने पत्रकारों की स्वतंत्रता को भंग करने का कार्य किया है जिसकी जांच होकर दोषियो के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए और चौथे खंभे के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है! उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकार की सुरक्षा का लाख दावा करे लेकिन धरातल की सच्चाई मे शनी देओल के फिल्म दामिनी का डायलॉग याद आ जाता है जिसमे कहता है की जज आर्डर आर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा वही खेल पत्रकारो के साथ पुलिस विभाग कर रहा है
मनुष्य के साथ शारीरिक हिंसा सबसे जघन्यतम कृत्य माना गया है। यदि कोई पत्रकार सच का खुलासा करता है तो उसे माफिया मार डालते हैं। वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए ऐसा करता है। ऐसे में हमारी पुलिस व्यवस्था, न्याय पालिका और सरकार को सवालों के घेरे से बाहर नहीं रखा जा सकता है।
पत्रकार मारे जा रहे हैं, कुचले जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं, अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं, उनकी कलम की राह की दुश्वारियां किस हद तक पहुंच चुकी हैं, यह सवाल बखूबी हमें अभिव्यक्ति के खतरों का एहसास कराता, वह भी तब,जबकि पत्रकारिता को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है।
आजाद भारत में पत्रकारों के साथ इस तरह का जघन्य अपराध एक बार फिर शहीद भगत सिंह की टिप्पणी पर सोचने के लिए विवश करती है कि ‘क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की आप चाटुकारिता करे जिस दिन सच लिखोगे तो पुलिस के खिलाफ लिखोगे उस दिन आपके पिछवाडे को लाल करने मे पुलिस समय नही लगायेगी
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