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ब्रज के युवाओं की प्रतिभा को​ निखारते ब्रज फिल्म फेस्टीवल का रंगारंग समापन

विश्व संवाद केंद्र व ललित कला संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ब्रज फिल्म फेस्टीवल का गुरूवार को समापन हो गया। बाग फरजाना स्थित संस्कृति भवन में आयोजित समारोह के प्रातःकालीन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डाॅ. हरीश रौतेला ने कहा कि चित्त की वृत्ति, गीत-संगीत, अच्छी कहानी और अच्छे परिदृश्य मिलकर एक फिल्म का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में फिल्मों का इतिहास बहुत पुराना है। 1913 में दादा सहाब फाल्के ने पहली हिन्दी फिल्म महाराजा हरिश्चंद्र का निर्माण किया। तब से लेकर वर्तमान तक भारतीय फिल्मों ने नए आयाम स्थापित कर समाज को बहुत कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्मों का निर्माण हो जो समाज का मार्गदर्शन कर भारत के वैभव को विश्व में बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि अच्छी फिल्में संस्कृति व संस्कारों का निर्माण करती हैं। डाॅ. हरीश ने कहा कि भारतीय फिल्मों ने कला पक्ष के साथ उसके तकनीकी में बहुत प्रगति की है। उन्होंने कहा कि फिल्मों में जीवन उपयोगी उपदेश देने की शक्ति होती है।

मुख्य अतिथि डाॅ. बीआर आंबेडकर विवि की कुलपति प्रो. आशू रानी ने ब्रज फिल्म फेस्टीवल आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि फेस्टीवल से युवाओं की रचनात्मकता में वृद्धि होगी और वह अपनी अभिव्यक्ति और अधिक प्रभावी तरीके से उन्नत बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि फिल्में हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और नए युग को प्रदर्शित करती हैं। विशिष्ट अतिथि आगरा पुलिस कमिश्नर डाॅ. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि फिल्म मोरल होनी चाहिए, जिससे संस्कार मिलें। इससे युवाओं की प्रतिभा भी निखर कर आएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता उद्यमी भास्कर शर्मा ने की और प्रस्तावना चित्र साधना के न्यासी अरूण अरोड़ा ने प्रस्तुत की। इस सत्र का संचालन श्रुति सिंघल ने किया।

फिल्म फेस्टीवल के दूसरे सत्र में चयनित लघु फिल्मों को स्क्रीन पर दर्शाया गया। जिसे बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं से सराहा। फिल्म के निर्माता और निदेशकों ने मंच से अपनी फिल्मों के बारे में बताया और अपनी आगामी योजनाओं की जानकारी दी। समारोह के समापन सत्र में को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी नवनीत चहल ने फिल्म प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि फिल्में अन्य कलाओं के तहर हमारे समाज और समय का अभिन्न अंग है और सृजनशीलता का अंश बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसी फिल्में भी जरूरी हैं, जो विचार, सूचना और शिक्षा दें। कार्यक्रम में भारतीय चित्र साधना के न्यासी अरूण अरोड़ा के फिल्मों के विकास क्रम और भारतीय चित्र साधना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिम्बोजिया स्कूल के निदेशक डाॅ. जीएस राणा ने की और ब्रज फिल्म फेस्टीवल को युवाओं की प्रतिभा निर्माण की दिशा में मील का पत्थर बताया। कार्यक्रम को टीटीजेड के सदस्य ई. उमेश शर्मा ने भी संबोधित किया।

संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख केशवदेश शर्मा ने बताया कि फिल्म फेस्टीवल में पर्यावरण, गौ, स्वरोजगार, मेरा गांव मेरा तीर्थ, वोकल फार लोकल, महिला, स्वतंत्रता संग्राम में ब्रज, पौराणिक स्थल, विज्ञान और परिवार प्रबोधन ऐसे 10 विषयों पर फिल्मों का फिल्मांकन किया गया। प्रांत के सह प्रचार प्रमुख कीर्ति कुमार ने बताया कि चयनित फिल्मों को देश के कई प्रांतों में आयोजित फिल्म फिस्टीवल ने दिखाया जाएगा और ब्रजप्रांतों के प्रमुख नगरों में भी फिल्म फेस्टीवल आयोजित किया जाएगा। र्कीति कुमार ने बताया कि फिल्म फेस्टीवल में बरेली के गौरव कुलश्रेष्ठ की पर्यावरण पर बनी लघु फिल्म को प्रथम, मथुरा के अर्थव सिंह की ब्रज के पौराणिक स्थल पर बनी फिल्म को द्वितीय और पीलीभीत के राहुल सिंघल की स्वरोजगार और मथुरा की मेघा शर्मा की परिवार प्रबोधन पर बनी फिल्म को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। सभी प्रतिभागियों को मंच से सम्मानित किया गया। आगरा विभाग के प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी ने बताया कि फिल्म फेस्टीवल में पूरे प्रांत से 31 फिल्में प्राप्त हुईं, जिसमें से 18 लघु फिल्मों को दिखाया गया। सत्र का संचालन तरूण शर्मा ने किया

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