कुर्बानी के नाम पर गरीबी का मजाक उड़ाना उचित नहीं=शेरवानी
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आगरा =इस्लामिक त्यौहार ईद उल जुहा बकरा ईद के मौके पर इस्लाम के मानने वाले लोगों मैं हजरत मोहम्मद इब्राहिम साहब की याद में अल्लाह की राह में जानवरों की कुर्बानी की परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है बकरा ईद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने वाले लोग अपनी दौलत की नुमाइश करते हुए गरीबी का मजाक उड़ाते हैं इस्लामिक तौर पर मुनासिब नहीं है ईद पर कुर्बानी का मकसद गरीब लोगों की मदद करना है ना कि उनका मजाक बनाना
.उक्त विचार वंचितसमाज इंसाफ पार्टी फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद प्रत्याशी नवाब गुल चमन शेरवानी के हैं
शाहगंज क्षेत्र के तिरंगा मंजिल शेरवानी मार्ग आजम पाड़ा निवासी श्री शेरवानी राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम तथा तिरंगा प्रेम के चलते सुर्खियों में आए थे
श्री शेरवानी बकरा ईद के मौके पर जीव हत्या रोके जाने का संदेश देते हुए बकरे के चित्र वाला केक काटकर बकरा ईद मनाते हैं
श्री शेरवानी का कहना है कि सदियों पूर्व हजरत इब्राहिम साहब ने अल्लाह की राह में तमाम जानवरों की कुर्बानी देने के बाद अपने बेटे को जो जुवह कुर्बान करना चाहा था लेकिन अल्लाह को यह मंजूर नहीं था अल्लाह ने उनके बेटे की जगह मेडा भेड़ खड़ा कर दिया था उसके बाद से ही हजरत इब्राहिम साहब की याद में अल्लाह की राह में इस्लाम के मानने वाले लोगों द्वारा जानवरों की कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू हो गया उस दौर में कुर्बानी का असल मकसद गरीबों की मदद करना था उन्हें अच्छा खाना खिलाना था लेकिन आज लोग गरीबी का मजाक उड़ाते हुए उन्हें दो पीस गोश्त के देकर अपना हक अदा कर देते हैं और अपने अमीर रिश्तेदारों के यहां गोश्त पहुंचा कर अपनी शानो शौकत दिखाते है जो कि इस्लामिक तौर पर मनाई है इस्लाम में साफ कहा गया है कि अगर आप फल खाते हैं तो उसके छिलके एक थैली में बंद करने के बाद घर में रखिए बाहर मत डालिए हो सकता है आपका पड़ोसी जो फल नहीं खा सकता उसको देखकर अपने आप को गरीब महसूस करें अपनी गरीबी का एहसास हो और उसका दिल दुखे इस्लाम में कहा गया है कि कोई भी शख्स किसी विधवा औरत के सामने अपनी बीवी से प्यार से बातें ना करें क्योंकि हो सकता है उसके दिल में अरमान जागे कि काश मेरा शौहर होता तो मुझसे भी मोहब्बत इसी तरह करता इस्लाम में कहा गया है कि कोई भी शख्स अपने बच्चों से किसी अनाथ बच्चों के सामने मोहब्बत ना करें प्यार ना करें उन्हें लाड से ना बुलाए अनाथ बच्चों को अपने अनाथ होने का एहसास होगा इस्लाम के मानने वाले इन सारी बातों को नजरअंदाज करते हुए कुर्बानी के नाम पर एक बड़ी तादात में जानवरों की हत्या कर देते हैं क्योंकि कुर्बानी वह है जिसका हमें अफसोस हो कुछ दिनों पहले पैसे के बल पर लाए गए जानवर को कुर्बान कर देना कुर्बानी नहीं है कुर्बानी के लिए बच्चा बचपन से पालना चाहिए जिससे कि हमें उसकी जुदाई का एहसास हो अधिकतर लोग एक दिन पहले भी दौलत के बल पर जानवर खरीद कर लाते हैं और अगले दिन उसे कत्ल करके कुर्बानी का नाम दे देते हैं जो कि सरासर गलत है
श्री शेरवानी ने कहा कि गरीबों को अच्छा खिलाना शाही पनीर शुद्ध देसी घी के पकवान मिष्ठान खिलाकर गरीब बहन बेटियों की शादी पता बीमार शख्स को इलाज के लिए गुपचुप तरीके से पैसा देकर भी ईद मनाई जा सकती है गरीबों की मदद करके भी बनाई जा सकती है इससे अल्लाह और भी ज्यादा खुश होगा बेकसूर जानवरों की बलि देकर कुर्बानी का नाम देकर अल्लाह कभी खुश नहीं होता
.श्री शेरवानी ने कहा कि जिस समय हजरत इब्राहिम साहब ने अपने बेटे को जुबा करना चाहा तो उनके बेटे के स्थान पर मेडा भेड़ आ गया था तो फिर जानवर के फोटो वाला केक काटकर ईद क्यों नहीं बनाई जा सकती इससे खून खराबा भी नहीं होगा और जानवर के पैसे से गरीबों की मदद की जा सकती है
श्री शेरवानी का मानना है कि हर गरीब शख्स भी कुर्बानी दे सकता है अपने अंदर चल रही बुराइयां नशाखोरी जैसी तमाम बुराइयों को छोड़ने का इरादा करते हुए भी लोग कुर्बानी दे सकते हैं
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