आज ही के दिन 15 नवम्बर 1949 को गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी दी गयी थी।
गांधी जी के हत्या के मुकदमे के दौरान कोर्ट में ली गई इस फोटो में गांधी जी की हत्या के षड्यंत्र में शामिल अन्य आरोपी भी बैठे हैं। पिछली पंक्ति में मुह छुपा कर बैठा विनायक दामोदर सावरकर भी इसमें देखा जा सकता है। सावरकर ने ही हिंदुत्व शब्द का आविष्कार किया था और परिभाषित करते हुए स्पष्ट किया था कि यह एक शुद्ध राजनीतिक विचार है।
सावरकर अंग्रेज़ों से माफ़ी मांग कर छूटा था और अंग्रेज़ों से 60 रूपये प्रति माह पेंशन पाता था।
सावरकर ने ही सबसे पहली बार 1937 में दो राष्ट्र का विचार रखा था। जिसके हिसाब से हिंदू और मुसलमान दो अलग क़ौमें थीं जो एक साथ नहीं रह सकतीं। कितने आश्चर्य की बात है कि घोषित तौर पर मुस्लिम विरोधी सावरकर की पार्टी हिंदू महासभा ने बंगाल और पंजाब में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। 1942 में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए हिंदू महासभा नेता और बंगाल सरकार के मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अंग्रेज़ों को पत्र लिख कर सुझाव दिया।
आज गोडसे की फांसी दिवस पर इस तस्वीर को याद करना इसलिए ज़रूरी है कि आप हिंदुत्व की विचारधारा और हिंदू धर्म के अंतर को समझ सकें। हिंदुत्व ने सावरकर, गोलवलकर, गोडसे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, ग्राहम स्टेंस के हत्यारे दारा सिंह जैसों को पैदा किया तो वहीं हिंदू धर्म ने गांधी, विवेकानंद, अक्षय ब्रह्मचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे लोग दिये। आज संघ इसीलिए हिंदुत्व पर उठाये जाने वाले सवालों से तिलमिलाता है कि उसे पता है कि आम हिंदू जनमानस को गांधी और विवेकानंद ही प्रेरित और प्रभावित करते हैं। आज भी शायद ही कोई धार्मिक हिंदू गोडसे को पूजता हो। भाजपा के आईटी सेल में बेरोजगारी के कारण ट्विटर पर गांधी के खिलाफ़ गोडसे का महिमामंडन करने वाले युवाओं के घरों में भी शायद ही किसी के यहां गोडसे और सावरकर की फोटो लगी हो।
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