- मेरा मुंह मत खुलवाइए साहब… चुनाव ड्यूटी लगाने में खूब खेला होबे !
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उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की तारीखें नजदीक है । सरकार चुनाव को पूरी सक्रियता और चैतन्य तरीके से कराने के मूड में है । चुनाव में ड्यूटी कार्मिकों की ट्रेनिंग से पहले उन्हें ड्यूटी पत्रक जारी किया जा रहा । ड्यूटी लगाने और काटने का खेला जमकर हो रहा । पैसे लेकर ड्यूटी काटने और लगाने का काम देखकर ऐसा लग रहा कि सरकारी कर्मचारी ही सरकार के निष्पक्ष चुनाव और सरकारी सेवा का मखौल उड़ा रहे । माध्यमिक और जूनियर हाईस्कूलों के उम्रदराज शिक्षकों और अन्य विभागो के उम्रदराज शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर उनसे धन उगाही की चर्चा जोरों पर हैं । मै कलम के माध्यम से सरकार और जोनल चुनाव आयुक्त से पूछ्ना चाहूंगा की जिन शिक्षक बंधुओं या सरकारी कर्मचारी की उम्र 55 वर्ष से ऊपर है उन्हे चुनाव ड्यूटी में क्यू कराया जा रहा जबकि वो अपने रिटायरमेंट के करीब है तथा डायबिटीज ,रक्त चाप , मोतियाबिंद जैसे गंभीर समस्यायों से ग्रसित है । वो पठन पाठन और कागजी कार्यवाही के रीढ़ भी है । विद्यालय में उनके अनुभव नव नियुक्तियों के काम आ रहा । जनपद के मुख्यालय से ड्यूटी काटने और लगाने की जानकारी जिलाधिकारी महोदय को भी हुई होगी यहां तक की जनपद के आलाधिकारियों को भी इसकी भनक है । यह बात रविवार को उस समय सामने आई, जब कुछ उम्रदराज सरकारी कर्मचारियों ने अपनी चुनाव ड्यूटी पचास किलोमीटर दूर लगा दिया गया ताकि वो जब ड्यूटी कटवाने या बदलवाने जाए तो धन उगाही की जा सके ।
मै पत्रकार होने के नाते प्रशासन से आग्रह करूंगा कि उम्रदराज शिक्षकों को तत्काल ड्यूटी से मुक्त कर के ऐसे कर्मचारियों को फटकार लगाना शुरू किया जाय जो ऐसे खेला कर रहे । नहीं तो लोग बोलेंगे की मुंह मत खुलवाइए। यहां से लेकर आलाधिकारियों तक को सब पता था कि मनमाने रूप में लिस्ट बनाकर ड्यूटी लगाई जा रही । लेकिन सबको अपने हिस्से से ही मतलब रहता है। इसी वजह से किसी अफसर ने इसकी रोकथाम या इससे मुखर कुछ नहीं किया। ऐसे में यह बात साफ जाहिर हो गई कि सरकारी तंत्र ऐसे संचालित होने वाली क्रियाकलापों की आवश्यकता क्या है । इस बात जी जानकारी पहले से ही विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में थी , ऐसे में उस समय कार्रवाई क्यों नहीं की गई जब ये बात जाहिर थी कि ऐसे उम्रदराज शिक्षकों से चुनाव ड्यूटी नहीं लगानी चाहिए । यह विभाग के आलाधिकारियों के लिए बड़ा सवाल है। फिलहाल अब देखना यह है कि इस पैसे वाले खेल के कारोबार में कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे और उन पर विभाग कौन सी कार्रवाई करता है।
— पंकज कुमार मिश्रा ,एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार ,केराकत जौनपुर ।
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