हिन्दी दिवस पर विशेष आलेख
हर दिवस हिंदी दिवस
10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है जिसकी शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी। दुनिया भर में लगभग 65 करोड़ लोग हिंदी बोलते है । भारत के अलावा लगभग 20 देशों में हिंदी बोली जाती है। आजादी के 75 साल के बाद विश्व में अपना डंका पीट चुकी हमारी राजभाषा ” हिंदी ” आज भी 130 करोड़ आबादी वाले भारतवर्ष में पूर्णता स्वीकार नहीं की जाती। भारत में आज भी कई राज्य ऐसे हैं जहां हिंदी भाषा का उपयोग न के बराबर है वहां हिंदी भाषा संपर्क और कामकाज का हिस्सा तक नहीं हैं।
आखिरकार हमें यह सत्य स्वीकार करना पड़ेगा कि हिंदी को आज भी भारत में अंग्रेजी की तुलना में दूसरी भाषा का दर्जा ही प्राप्त है और यह हमारी हिंदी भाषा के लिए अच्छी बात नही । हम सच से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। हमारी राजभाषा हिंदी इतनी सरल और सहज होने के बाद भी इसको बढ़ावा न देने में कहीं ना कहीं हम लोग ही जिम्मेदार है , हम हिंदी में बात करने की जगह अंग्रेजी मैं बात करना अपनी शान समझते हैं।
हमारी मातृभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की पहल आजादी से पहले हो चुकी थी हमारे महात्मा गांधी जी ने इसे जन भाषा बतलाया था आमतौर पर जिस भाषा में बात की जाती है या जिसे सभी उपयोग करते हैं उसे जन भाषा कहते हैं और आजादी के बाद इसे राज्य भाषा का दर्जा भी मिल चुका है।
सही मायने में देखा जाए तो हमारी मातृभाषा को अब राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हमको स्वयं सूत्रधार बनना होगा हमें हिंदी को अपनाना होगा और इसकी शुरुआत हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने कर दी है । उन्होंने कार्यक्रम मन की बात द्वारा सबके सामने यह बात स्वीकार की है कि अब से पांचवी कक्षा तक हमारे बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही शिक्षित किया जाएगा , ताकि वे मात्रभाषा हिंदी को जान और पहचान सके, क्योंकि शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा जिस प्रकार अंग्रेजी भाषा सर्वमान्य कहलाती है वैसे ही अब हिंदी का भी चहुं ओर विकास के लिए यह बहुत जरूरी है , और इसके लिए बड़ी-बड़ी ( यूनिवर्सिटी) विश्वविद्यालयों में भी अब हिंदी भाषा में ही समस्त विषयों को पढ़ाने का निर्णय लिया गया है ।अब शोधकर्ता भी हिंदी में शोध कर सकेंगे । यह जरूरी नहीं है कि इंग्लिश भाषा में मोटी मोटी किताबें पढ़नी पड़े अब वह अपनी ही भाषा में सुलभ रुप से आगे की पढ़ाई कर सकेंगे। हिंदी के सुनहरे भविष्य के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है । इसीलिए हिंदी में भी सभी प्रकार की शिक्षाएं प्राप्त की जा सकती है इस घोषणा के साथ मोदी जी ने पहल कर दी हैं। इस पहल के लिए समूचे भारत राष्ट्र की तरफ से में आदरणीय मोदी जी को शुभकामनाएं प्रेषित करना चाहती हूं।
हम सभी भारत वासियों में भी हिंदी को लेकर ऐसे ही जोश और जुनून होना चाहिए हमें हमारी मातृभाषा को बोलने में असहज और शर्म महसूस नहीं होना चाहिए हिंदी जितनी सरल है उतनी ही उत्तम भी। हिंदी से ही भारत की संस्कृति की पहचान हैं। हिंदी हम सभी को सम्मानित करती है, आज हम बाहर विदेशों में जाते हैं तो विदेशी लोग भी सम्मानित रूप से हमसे हिंदी सीखना चाहते हैं , इसीलिए सबसे पहले पहल हमें भारत से ही करनी होगी हम हिंदी को बोले और हिंदी को अपनाएं इसके लिए कई संस्थाएं साहित्य स्तर पर हिंदी में हस्ताक्षर को लेकर पहल कर चुकी है।
©® आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर , मध्य प्रदेश
भारत
यह लेखक के स्वतंत्र विचार है
( साहित्य सेवी , समाज सेवी , शिक्षाविद् )
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