हिमाचल प्रदेश
जगत सिंह तोमर
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन विकास क्रांति का पर्याय बनकर आर्थिक समृद्धि लायेगी सोमभद्रा-स्वां नदी झील।
जिला ऊना की सोमभद्रा-स्वां नदी में पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन हेतु कृत्रिम प्राकृतिक झील अवश्य साकार करवानी चाहिए।
सोमभद्रा-,स्वां संरक्षण समिति के संयोजक राजीव शर्मन् ने एक बार दोबारा जिला ऊना की सोमभद्रा-स्वां नदी में पर्यटक झील बनवाने की मांग की है। जिला ऊना में सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण से जिला ऊना को उपनाम श्री छोटा हरिद्वार का सपना साकार हो जायेगा। जिला ऊना सन् ईस्वी 1972 में हिमाचल प्रदेश का जिला बनने से पहले पंजाब राज्य का अभिन्न अंग रहा है। वर्तमान में ऊन्ना हिमाचल प्रदेश का एक अद्वितीय जिला माना जाता है। कोई समय विभिन्न पीर पैगम्बरों, धार्मिक गुरुओं, बावा नानक जी के सिक्ख वंशजों की तो आज भी पुन्य भूमि है। यहां पर चिरकाल से बहती आ रही स्वर्ग की पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक आस्था की पावन सोमभद्रा-स्वां यहां की समृद्धि की पर्याय मानी जाती है। यह नदी फसलों को सिंचित करने के साथ साथ यहां की धार्मिक सांस्कृतिक समरसता में रची बसी है। कालांतर में इस नदी को पर्यावरण संरक्षण व इसके चिरस्थाई अस्तित्व पर खतरा मंडराया हुआ है। हालांकि भारत सरकार द्वारा तटीयकरण योजना ने इस नदी का कायाकल्प करा उपजाऊ जमीन व बाढ़ के प्रकोपों से किसानों को सुरक्षात्मक राहत प्रदान करवाई है। सोमभद्रा-स्वां नदी पांच दर्जन विभिन्न खड्डों- जलस्रोतों को समाहित करती हुई सतलुज नदी में विलीन हो जाती है। नदी का ग्लोबल वार्मिंग के चलते कोई प्रभाव नहीं पड़ा है किन्तु प्रदूषण और समुचित पर्यावरण संरक्षण ना मिलने से नदी का अस्तित्व ख़तरनाक दौर से गुजर रहा है।
ऐसे में सोमभद्रा-स्वां नदी में झील की परिकल्पना साकार करवाना एक बहुआयामी मुकाम है। चंडीगढ़ सुखना झील की तर्ज पर सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण एक पर्यटन विकास क्रांति का सूत्रपात करवाने की पहल हो सकती है। पिछले दो दशकों से जिला ऊना की धार्मिक, सांस्कृतिक संस्थाओं ने सोमभद्रा-स्वां नदी में झील बनवाने की जोरदार मांग दोहराई है। विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी पिछले दो दशकों से लगातार दोहराया है कि सोमभद्रा-स्वां झील निर्माण धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटन आदान-प्रदान सुनिश्चित करने का बहुत बड़ा वरदान एवं पर्यावरण संरक्षण में एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। पर्यावरण प्रेमियों ने सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण का प्रचार प्रसार और भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार से पुरजोर अपील दोहराई है। सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण ऊन्ना जनपद में एक बहुत बड़ी बहुआयामी मुकाम हासिल करवायेगी।आम जनता जनार्दन का भी कहना है कि जिला ऊना का खुष्क गर्मी का मौसम होने से प्रस्तावित झील मौसम और पर्यावरण संरक्षण में प्रासांगिक सिद्ध होगी। लोगों ने सरकार से पुरजोर अपील की है कि सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण के सभी साकारात्मक पहलुओं का मंथन करते हुए इसकी सम्भावनायें तलाश करने का केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को जनहित में शीघ्रातिशीघ्र सार्थक प्रयास करवाना चाहिए।
जिला ऊना में प्राचीन काल से ही स्वर्ग की पौराणिक एवं ऐतिहासिक नदी जो कि ऊन्ना जनपद की धार्मिक सांस्कृतिक विरासत है,सोमभद्रा-स्वां नदी मानव पिपासा शांत करते हुए अनवरत ही बहती चली आ रही है। इस नदी के प्राकृतिक जलस्रोतों को लोक प्रचलित भाषा में “बुम्बलू”कहकर पुकारा जाता है। यह बुम्बलू धरती में गहरी जलस्रोत ईकाई है जिसका बहाव अनन्त माना जाता है। इसकी वास्तविक तथ्य पुष्टि का पक्का परिक्षण किया जा चुका है। जिला ऊना में सोमभद्रा स्वां नदी का उद्गम स्थल घनारी-दयोली-गगरेट श्री छोटा हरिद्वार बावा भोलेनाथ का श्री पांडवकालीन महातीर्थ श्री द्रोणाचार्य की चरण स्थली से स्वां नदी जिला ऊना की ओर प्रस्थान करती आई है। यहां पर इन प्राकृतिक जलस्रोतों की बहुतायत है। जब कभी भी सोमभद्रा-स्वां नदी के दोनों ओर दस -दस किलोमीटर की दूरी पर जलपम्प लगवाने की खुदाई की जाती है तो सोमभद्रा-स्वां नदी का प्रचुर मात्रा का जल स्तर सहज ही उपलब्ध होने लग जाता है। इससे सिद्ध होता है कि प्राकृतिक जलस्रोतों बुम्बलुओं की जल-लहरें पर्याप्त मात्रा में धरती में लुप्त पाई जाती है। यही स्वर्ग में बहने वाली नदी सोमभद्रा-स्वां नदी का अस्तित्व इस मर्त्य लोक में मानवता की बहुविधि प्यास तृप्ति करता आया है। बरसात में सोमभद्रा स्वां नदी का भयावह तांडव जगत विख्यात है फलस्वरूप किसानों की फसलों को बचाने के लिए तटीयकरण की महायोजना को साकार करवाया गया। इस दौरान गगरेट से जिला मुख्यालय ऊन्ना तक पर्यटन के दृष्टिकोण से यहां पर सोमभद्रा-स्वां नदी में झील निर्माण की अपार संभावनाएं पाई गई है। सोमभद्रा-स्वां नदी झील जिला ऊना में धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटन आदान-प्रदान के साथ साथ आर्थिक समृद्धि की महाक्रांति बनना प्रासांगिकता लिए हुए है। सोमभद्रा स्वां नदी झील निर्माण से दो लाभान्वित करने वाले पहलु तार्किक है। सर्वप्रथम सोमभद्रा स्वां नदी के दोनों किनारों के वीहड़ों में अधिकांश मात्रा में जंगली नर-मादा नील गायों से किसानों की फसलों को चट होने से सहज बचाया जा सकता है। दूसरे सोमभद्रा-स्वां नदी का अवैध खनन एक बहुत विकट समस्या बन चुकी है। नदी का अवैध तरीके से चीरहरण पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में विभिन्न उद्योगों का तेज़ाबी विषाक्त पानी व गंदगी ने सोमभद्रा स्वां नदी को प्रदुषित कर दिया है। सोमभद्रा-स्वां नदी में झील निर्माण से इन सभी समस्याओं से एक मुश्त निजात दिलाना अवश्यंभावी है। सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण से पर्यटकों को निश्चित तौर पर पर्यटन का सुकून देने में सहायक सिद्ध होगी। सोमभद्रा-स्वां नदी का समुचित प्रबंधन करवाने से प्रस्तावित झील में नौकायन और मत्स्य पालन की बहुआयामी कायाकल्प गतिविधियों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। यही नहीं सोमभद्रा-स्वां नदी में झील बनने से पर्यटकों हेतु होटल उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे सिद्ध होता है कि सोमभद्रा स्वां झील निर्माण हर सम्भव आर्थिक समृद्धि से जुड़ा हुआ है। सोमभद्रा स्वां झील निर्माण से जिला ऊना के अम्ब,कुनेरन-चिंतपूर्णी, दौलतपुर-तलवाड़ा ब्राड गेज रेलवे लाईन का भी पर्यटकों को निश्चित तौर पर सर्व सुलभ आकर्षण व कारगर भूमिका साबित होगी। अतः भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार को पर्यटन विकास सुनिश्चित करवाने की गर्ज से सोमभद्रा-स्वा़ नदी में सोमभद्रा-स्वां नदी झील निर्माण को साकार करवाने की विकासोन्मुखी कायाकल्प योजना को जनहित में शीघ्रातिशीघ्र निर्णायक अमलीजामा पहनाना चाहिए।
जिला ऊना जनपद समेत विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं ने एक बार पुनः किसानोें को स्वां नदी समीप नील गायों से बचाने और नदी का अवैध खनन रोकने हेतु सोमभद्रा-स्वां झील निर्माण की मांग दोहराई है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी सोमभद्रा-स्वां नदी में झील निर्माण प्रासांगिकता लिए हुए है।
आम जनमानस व प्रबुद्धजनों
का कहना है कि झील निर्माण से पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलने से जिला ऊना में पर्यटन क्रान्ति का सूत्रपात होगा। सोमभद्रा स्वां नदी में झील का सपना साकार होने से समूचा जिला जिला ऊना पर्यटन का सिरमौर बन जायेगा। ऊना की धार्मिक सांस्कृतिक एवं पौराणिक सोमभद्रा-स्वां नदी का अपना ऐतिहासिक व अहम स्थान है।यह पावन नदी ऊना जनपद की प्रमुख नदी है ।यह ब्रह्मोति में सतलुज नदी में समाहित हो जाती है। गगरेट, चिंतपूर्णी,हरोली व जिला ऊना मुख्यालय तक इस नदी का तटीयकरण अन्तिम दौर में है।
तटीयकरण का मूल उद्देश्य किसानों की फसलों को बाढ़ के प्रकोपों से बचाव रखना था।इस कार्य में भारत सरकार व हिमाचल प्रदेश सरकार को पूर्ण सफलता हासिल हुई है। वर्तमान में सोमभद्रा-स्वां नदी का अवैध खनन और यहां पर नील गायों की समस्या भी विकराल रूप धारण करती चली गई है। ऊना-हिमाचल के तहसील मुख्यालय अम्ब में धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन विकास के लिये सोमभद्रा-झील का निर्माण समय की यथोचितक्ष पुकार है। ऊना संस्कृति की विरासत स्वां नदी का वृहद तटीयकरण का कार्य प्रगति के अंतिम शिखर में है। धौलाधार और शिवालिक पहाड़ियों की ओट में मधुर मंद गति से बहती सोमभद्रा नदी समूचे ऊना की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सँजोए हुये हैं। बरसात में यह नदी भीषण तांडव-तबाही के लिए विख्यात थी किंतु तटीयकरण से सोमभद्रा-नदी ऊना-हिमाचल के किसानों के लिये समग्र हरित क्रांति की सौगात लेकर आई है। धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन विकास के लिए अगर स्वां नदी के कुछ भू-भाग में चंडीगढ़ सुखना झील की तर्ज पर प्राकृतिक अथवा कृत्रिम सोमभद्रा-झील का निर्माण किया जाता है तो अम्भ जनपद सचमुच ही सर्वांगीण पर्यटन विकास का माडल बन जायेगा। सोमभद्रा-झील के निर्माण से नौकायन और मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा। होटल उद्योग को भी चार चांद लगेंगे। सोमभद्रा-झील को साकार करवाने से यहाँ नये रेलवे स्टेशन अंब पर माता श्री चिंतपूरणी और डेरा बावा बड़भाग सिंह में आने वाले लाखों धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटक श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि होगी। अतएव भारत सरकार और हिमाचल सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय को “सोमभद्रा-झील” की सकारात्मक,रचनात्मक और बहुआयामी स्वां झील का निर्माण करवाकर जिला ऊना को भारत के धार्मिक-सांस्कृतिक,पर्यटन मान चितर विकास का पर्याय बनवाना चाहिए। अतः भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार को शीघ्रातिशीघ्र सोमभद्रा स्वां नदी में सोमभद्रा स्वां नदी का सपना साकार करवाना चाहिए। निश्चित तौर पर सोमभद्रा-स्वां नदी झील जिला ऊना ही नहीं अपितु हिमाचल प्रदेश और भारत के मानचित्र पर आर्थिक समृद्धि की पर्यटन क्रान्ति लाने में सफल सिद्ध होगी।
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