सादड़ी, 1अप्रैल सोमवार शीतला सप्तमी के दिन आज सुबह शीतला माता पूजन के साथ भव्य मेला भरेग
सादड़ी – साथ ही गेरीये गैर नृत्य करेंगे, मेले में बड़ी संख्या में ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में शरीक़ होगे ,
पूर्व भजन संध्या ग्रामीण माताजी के भजनों का आनंद ले रहे हैं
दोपहर बाद नगर में सगरवंशी (ओड) माली समाज द्वारा अपने आराध्य देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भैरव पूजन के बाद भैरव ज्योत के साथ समाज बंधु भैरव शृंगार कर हाथों में मुसल लेकर गैर नृत्य करते हुए नगर भ्रमण करेंगे,
संभाग में इस तरह की ऐतिहासिक रियासत कालीन मुसल गैर का आयोजन सप्तमी के दिन सिर्फ सादड़ी में ही होता है इस गैर की अलग ही पहचान है जो रियासत काल से अपनी प्राचीन संस्कृति-सभ्यता सजोए हुए हैं
मुसल (हामैला) गैर को देखने के लिए देशभर के प्रवासी बंधु सहित सादड़ी क्षेत्र व मारवाड़-मेवाड़ के हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमडती है
गैर में गैरिये मुसल के साथ नृत्य करते हुए लोगों का मनोरंजन करते हैं और लोगों से भैरव पूजन की नेक लेते हैं और लोग खुशी-खुशी नेक देते हैं
गैर की खास बात ये है की गैर को देखने के लिए पुरुषों से ज्यादा संख्या महिलाओं की रहती है
प्राचीन काल से माना जाता है मुसल गैर को देखने व ज्योत के दर्शन करने से घर में सुख शांति और मनोकामना पूर्ण होती है मान्यता है की महिलाओं के लिए भैरव ज्योति के दर्शन करने से पुत्र की प्राप्ति होती है
पुलिस प्रशासन, प्रशासनिक अधिकारी गैर के आयोजन में शांति, सुरक्षा व ट्रैफिक व्यवस्था के लिए टीम के साथ मुस्तैद रहगे !S.P.G सादड़ी
ऐतिहासिक मूसल गैर देखने उमड़ा जनसैलाब
भैरव स्वांग रच हाथों में मूसल लेकर झूम झूमकर नाचे सगरवंंसी माली समाज के गेरिए नहीं वाला बढ़िया डाल पक्का बाजार अक्रिय चौक घोसवाड़ा धाल रामदेव चौक नदी मैं आई थी नाइवाड़ा से चालू हुई घेवरचंद पत्रकार कंडारा 1 अप्रैल 2024*गेर में शामिल समाज के लोग*
यहां से गेर नाईवाड़ा चौक, तलवटा, मैनबाजार, प्याऊ, गोखरों का बास, भूत पिपली, आखरिया चौक, *सगरवंशी (ओढ़ माली) समाज की ऐतिहासिक रियासतकालीन सांस्कृतिक दर्जा प्राप्त मूसल गेर *गेर में सांस्कृतिक लोक संस्कृति का रंग और ग्रामीणों में जोरदार उत्साह दिखा।* गेर का लुत्फ उठाने मारवाड़,गोडवाड़, मेवाड़ अंचल सहित विभिन्न प्रदेशों के सैंकड़ो ग्रामीण सड़कों पर उमड़ पड़े। इस दौरान करीब 1 घंटा तक गाछवाड़ा पुलिया से आखरिया चौक से बस स्टैंड तक मार्ग पर यातायात बाधित रहा।
*नाईवाड़ा चौक मालिया बास स्थित आराध्य भैरव व आशापुरा मां मंदिर (थान) के बाहर पूजा अर्चना हुई।* सैन समाज के प्रबुद्धजनों ने 20-25 सगरवंशी माली गेरियों को तेल मिला सिंदूर, मालीपन्ना व काला रंग लगाकर भैरव समरूप स्वांग में तैयार किया। गेरियों ने हाथों में मूसल लेकर ढोल,ताशे व मृदंग की थाप संग मंदिर में गेर नृत्य किया।(हामेळागेर,भैरव व लाडुबा गेर) सोमवार शाम को हर्षोल्लास से संपन्न हुई।*गाछवाड़ा, पुलिया से रामधुन चौक बलिया ढाल होते प्रारंभ स्थल पहुंच सामाजिक बैठक में *सगरवंशी (ओढ़ माली) समाज की ऐतिहासिक रियासतकालीन सांस्कृतिक दर्जा प्राप्त मूसल गेर (हामेळागेर,भैरव व लाडुबा गेर) सोमवार शाम को हर्षोल्लास से संपन्न हुई।*तब्दील हुई। गेरियों ने नगर परिक्रमा दौरान जगह-जगह चौराहों पर नृत्य किया।
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