
देखें बेशर्मी और बेहया की हदें कैसे पार की जाती है किसी को नहीं पता तो नगर निगम के अधिकारी या सुपरवाइजर जैसे शक्स से मिले तो जानेंगे के यह हदें कैसे पार की जाती है ऐसे लोगों से मिले जो सेनेटरी जैसे इंस्पेक्टर अपने आपको पढ़े-लिखे अधिकारी कहते हैं यह देखें उनके कारनामे क्षेत्रों में ऐसे हैंडीकैप कर्मचारी होते हैं जिनको ऑफिस में किसी भी कार्य को दे सकते हैं क्या अन्य विभागों में अन्य जातियों के लिए ही पद ऐसे खाली होते हैं क्या नगर निगम के अंदर नहीं हो पाएंगे ऐसे लोग जो लाचार और बेबस हैं क्यों बनाते हैं हैंडीकैप कोल्लम अधिकारियों की नजर तो खुलती नहीं आंखों पर पट्टी बांधकर बस रजिस्टर पर बाल्मिक समाज के सुपरवाइजर कर्मचारी की तोहीन करने निकल जाते हैं सड़कों में बीच में बैठकर उनका रजिस्टर लेकर खुद तो कुर्सी लेकर बैठ गए जबकि पढ़े-लिखे अपने आप को कहते हैं के अधिकारी पढ़े-लिखे पीसीएस होते हैं किसी के क्षेत्र में जाते हैं तो उस क्षेत्र के अधिकारी की कुर्सी पर कोई अन्य अधिकारी नहीं बैठ सकता वह खुद अपनी कुर्सी पर बैठकर उनको इज्जत देगा और उनसे वार्ता करेगा लेकिन यहां तो उल्टा होता है कि कोई बाहर से अधिकारी राउंड हैं और उसी क्षेत्र के अधिकारी को उठाकर खड़ा कर देते हैं और खुद कुर्सी संभाल कर उसकी वैल्यू नहीं जानते उसको और छोटा बना दिया जाता है आप देख सकते हैं क्या ऐसी मजबूरी को देखकर कोई लिखेगा नहीं कि जो मुझे मजबूर होकर लिखना पड़ता है कि पढ़ाई लिखाई होती तो शायद यह चीजें ना होती अपने विभाग का मालिक अपना एक अधिकार उस शख्स को होता है जो वहां पर उस पद को संभाले होता है पर ऐसा क्यों माननीय नगर आयुक्त महोदय जाते हैं या स्वास्थ्य अधिकारी अपर आयुक्त इंस्पेक्टर खुद उनकी कुर्सी पर बैठ जाते हैं और अपना अधिकार जताते हैं उस सेनेटरी इंस्पेक्टर को पढ़ाई का मतलब नहीं पता किसने अधिकारी बना दिया जो दूसरे के छेत्र में जाकर खुशी को संभाल कर उसको खड़ा करके अपने आप बैठेगा कोई अधिकारी पढ़ाई का मतलब क्या होता है जानना चाहिए विभागीय अधिकारी से कैसे बात की जाती है उसको इज्जत कैसे दी जाती है यह उसको जानना चाहिए यह तो खुद अपने आपको अधिकारी जब कहलाएगा क्योंकि अधिकार के इज्जत की बात है या तो उसको सुपरवाइजर बनाया नहीं जाना चाहिए और बनाया तो उसको सामने ही बैठना चाहिए अधिकारी को पीछे नहीं रहना चाहिए यह एक शक्स जो कूड़े का ठेला खिंचवा रहे हैं जिसको ऑफिस में फाइल का पानी पिलाने का कोई काम मिल जाए तो उसको आराम मिलेगा उसका पैर सीधा है मोड़ा भी नहीं जाता फिर भी कूड़े का ठेला खींच रहा है देख सकते हैं आप क्या अधिकारी है क्या अधिकार हैं कोई नहीं जानता कैसे धिक्कार है ऐसे हैं जो हैंडीकैप होने के बावजूद भी ऐसे मेहनत से नहीं द रहे फिर भी नगर निगम के आला अधिकारी माननीय नगर आयुक्त बंसल जी जो कि सुबह 5:00 बजे निकल जाते हैं पैसे लोगों पर उनकी नजर नहीं क्यों नहीं जाति है जो अपने पैर से चल चल भी नहीं पाते हैं उनको ऑफिस में जगह मिल जाए तो कितना अच्छा होगा न्यूज़ इंडिया 19 मेरठ ब्यूरो चीफ अमरीश कुमार टी सैलानी की नजर हल खबर पर आपके tv चैनल पर मोबाइल youtube पर subscribe करें अमरीश कुमार टी सेलानी न्यूज़ इंडिया 19देखें बेशर्मी और बेहया की हदें कैसे पार की जाती है किसी को नहीं पता तो नगर निगम के अधिकारी या सुपरवाइजर जैसे शक्स से मिले तो जानेंगे के यह हदें कैसे पार की जाती है ऐसे लोगों से मिले जो सेनेटरी जैसे इंस्पेक्टर अपने आपको पढ़े-लिखे अधिकारी कहते हैं यह देखें उनके कारनामे क्षेत्रों में ऐसे हैंडीकैप कर्मचारी होते हैं जिनको ऑफिस में किसी भी कार्य को दे सकते हैं क्या अन्य विभागों में अन्य जातियों के लिए ही पद ऐसे खाली होते हैं क्या नगर निगम के अंदर नहीं हो पाएंगे ऐसे लोग जो लाचार और बेबस हैं क्यों बनाते हैं हैंडीकैप कोल्लम अधिकारियों की नजर तो खुलती नहीं आंखों पर पट्टी बांधकर बस रजिस्टर पर बाल्मिक समाज के सुपरवाइजर कर्मचारी की तोहीन करने निकल जाते हैं सड़कों में बीच में बैठकर उनका रजिस्टर लेकर खुद तो कुर्सी लेकर बैठ गए जबकि पढ़े-लिखे अपने आप को कहते हैं के अधिकारी पढ़े-लिखे पीसीएस होते हैं किसी के क्षेत्र में जाते हैं तो उस क्षेत्र के अधिकारी की कुर्सी पर कोई अन्य अधिकारी नहीं बैठ सकता वह खुद अपनी कुर्सी पर बैठकर उनको इज्जत देगा और उनसे वार्ता करेगा लेकिन यहां तो उल्टा होता है कि कोई बाहर से अधिकारी राउंड हैं और उसी क्षेत्र के अधिकारी को उठाकर खड़ा कर देते हैं और खुद कुर्सी संभाल कर उसकी वैल्यू नहीं जानते उसको और छोटा बना दिया जाता है आप देख सकते हैं क्या ऐसी मजबूरी को देखकर कोई लिखेगा नहीं कि जो मुझे मजबूर होकर लिखना पड़ता है कि पढ़ाई लिखाई होती तो शायद यह चीजें ना होती अपने विभाग का मालिक अपना एक अधिकार उस शख्स को होता है जो वहां पर उस पद को संभाले होता है पर ऐसा क्यों माननीय नगर आयुक्त महोदय जाते हैं या स्वास्थ्य अधिकारी अपर आयुक्त इंस्पेक्टर खुद उनकी कुर्सी पर बैठ जाते हैं और अपना अधिकार जताते हैं उस सेनेटरी इंस्पेक्टर को पढ़ाई का मतलब नहीं पता किसने अधिकारी बना दिया जो दूसरे के छेत्र में जाकर खुशी को संभाल कर उसको खड़ा करके अपने आप बैठेगा कोई अधिकारी पढ़ाई का मतलब क्या होता है जानना चाहिए विभागीय अधिकारी से कैसे बात की जाती है उसको इज्जत कैसे दी जाती है यह उसको जानना चाहिए यह तो खुद अपने आपको अधिकारी जब कहलाएगा क्योंकि अधिकार के इज्जत की बात है या तो उसको सुपरवाइजर बनाया नहीं जाना चाहिए और बनाया तो उसको सामने ही बैठना चाहिए अधिकारी को पीछे नहीं रहना चाहिए यह एक शक्स जो कूड़े का ठेला खिंचवा रहे हैं जिसको ऑफिस में फाइल का पानी पिलाने का कोई काम मिल जाए तो उसको आराम मिलेगा उसका पैर सीधा है मोड़ा भी नहीं जाता फिर भी कूड़े का ठेला खींच रहा है देख सकते हैं आप क्या अधिकारी है क्या अधिकार हैं कोई नहीं जानता कैसे धिक्कार है ऐसे हैं जो हैंडीकैप होने के बावजूद भी ऐसे मेहनत से नहीं द रहे फिर भी नगर निगम के आला अधिकारी माननीय नगर आयुक्त बंसल जी जो कि सुबह 5:00 बजे निकल जाते हैं पैसे लोगों पर उनकी नजर नहीं क्यों नहीं जाति है जो अपने पैर से चल चल भी नहीं पाते हैं उनको ऑफिस में जगह मिल जाए तो कितना अच्छा होगा न्यूज़ इंडिया 19 मेरठ ब्यूरो चीफ अमरीश कुमार टी सैलानी की नजर हल खबर पर आपके tv चैनल पर मोबाइल youtube पर subscribe करें अमरीश कुमार टी सेलानी न्यूज़ इंडिया 19
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