
मन्दिर और देवस्थलों की स्थिति:
नगर पंचायत खरखौदा जनपद मेरठ एक 30 हजार जनसंख्या का कस्बा है जो मेरठ-हापुड़ के बीच एक अच्छा व्यापारिक केंद्र भी है। इसकी कुल जनसंख्या का 82℅ साक्षर एवं 90% हिंदू है।
इस नगर पंचायत में कुल 27 देवस्थल है।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष के आरम्भ होने के अवसर पर इन देवस्थलों पर एक अग्निहोत्र यज्ञ की योजना बनी।यह अयोजन अब 11जुलाई 2021 दिन रविवार को हो रहा है इस संदर्भ में जो तथ्य सामने उन्हें साझा कर रहा हूँ ।
सम्भवतः इन तथ्यों के आलोक में हम वैदिक हिंदू धर्म की हानि, वर्तमान स्थिति, और अपवर्तन को समझ सकेंगे:-
1.इनमें से कुल 05 मन्दिर व्यक्तिगत सम्पत्ति के तौर पर है।
2. कुल 06 मन्दिर ताले में बंद है जहां स्वामित्व की आज्ञा के बिना आप प्रवेश भी नहीं पा सकते।
3. इनमे से 03 स्थानो पर पुरोहित अपनी मनमर्जी और दैनिक चर्या के आधार पर कार्य कर रहे है।
4. किसी भी मंदिर से कोई शिक्षा केन्द्र नहीं जुड़ा है।
5. कोई मंदिर समाज के निर्देशन का काम नहीं कर रहा है।
6. किसी भी मंदिर पर योग्य और साधक व्यक्ति नहीं है जो युवा वर्ग को उचित मार्गदर्शन दे सके।
7. किसी भी मंदिर पर अध्ययन-अध्यापन, सामाजिक बहस और विचार विनिमय का केंद्र नहीं है।
8. किसी भी मंदिर पर संस्कार- शाला, पुस्कालय, अथवा सूचना प्रसारण की व्यवस्था नहीं है।
9. किसी भी मंदिर पर व्यायाम, आसन-प्राणायाम, जप-साधना, कर्मकांड प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है।
स्वरोजगार, कृषि, धर्म, अध्यात्म, स्वावलम्बन,चरित्र निर्माण, राष्ट्र सेवा, सामाजिक सहभागिता किसी मंदिर का विषय नहीं है और यह आश्चर्य है कि वे मन्दिर है।
हम यह मानते हैं कि सम्भवतः सारे देश में स्थिति यही होगी। एक साक्षर, साधन सम्पन्न और सुविधा युक्त नगर में देवस्थलों की दशा इस स्तर की है तो फिर अनुमान लगाया जा सकता है कि…………..
क्या ….मानवता, धर्म और राष्ट्रीयता …. से हमारा कोई नाता बचा है???
डॉ. एस. के. त्यागी(शिक्षाविद) खरखौदा
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